देहरादून। सूचना एव॓ लोक सम्पर्क विभाग ने एक बार फिर छोटे व मझोले समाचारपत्रों के साथ भेदभावपूर्ण नीति अपनायी है। सूचना विभाग ने 26 जनवरी को जारी विज्ञापन में जहां एक ओर दैनिक समाचारपत्रों को 1716 वर्ग सेमी: का विज्ञापन जारी किया हैं वहीं छोटे समाचारपत्रों को मात्र 950 वर्ग सेमी का विज्ञापन देकर उनके साथ अन्याय किया है। शायद यह पहली बार ऐसा हो रहा है कि राष्टीय पर्व पर जारी होने वाले विज्ञापनों को छोटे व बड़े की कैटेगिरी करके आंवटित किया गया है। लगता है सरकार छोटे समाचार पत्रों को हतोत्साहित कर उनका अस्तित्व पूरी तरह समाप्त करना चाहती है। हाल ही में सूचना महानिदेशक ने कहा था कि छोटे व मझोले समाचारपत्रों का पूरा ख्याल रखा जायेगा।उसके बावजूद भी यह सब हो रहा है।दरसल विज्ञापनों की बात इस लिए की जा रही है कि सूचना का भारी भरकम बजट छोटे समाचारपत्रों के लिए भी निर्धारित हैं लेकिन उसे तधाकधित कुछ बड़े समाचारपत्रों पर खपाया जा रहा है। वहीं अन्य विभागों से यदा कदा जारी होने वाले विज्ञापनों पर भी सूचना विभाग ने फरमान जारी किया है कि जो भी विज्ञापन निर्गत होगे वह सूचना विभाग से होंगे। आखिर छोटे समाचारपत्रों के लिए सरकार की विज्ञापन नीति है क्या? हम सभी को इस बात पर मंथन करना होगा कि ऐसे दौर में छोटे समाचारपत्रों के अस्तित्व को बचाया कैसे जाए।
छोटे व मझोले समाचारपत्रों के साथ भेदभावपूर्ण नीति